अमृतसर के स्वर्ण मंदिर का ऐतिहासिक इतिहास | Historical History of Golden Temple of Amritsar in Hindi

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हिंदुस्तान के इतिहास में इतने सारे प्राचीन घटनाएं हो चुकी हैं जिसके सबूत हमें आज भी अपने आसपास देखने को मिलता है। अमृतसर के स्वर्ण मंदिर का ऐतिहासिक इतिहास | Historical History of Golden Temple of Amritsar in Hindi उन्ही प्राचीन इतिहासों में से एक है। जिसे पहले मुगलों ने तबाह किया उसके बाद अंग्रेजों ने मगर आज भी यह अमृतसर की आन बान शान है और यह हर धर्म के लोगों के दिलो में बसता है तभी तो प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग स्वर्ण मंदिर को देखने और “गुरू ग्रंथ साहिब” जी के दर्शन करने के लिए यहां आते हैं।

आने वाले पर्यटक सिर्फ हिंदुस्तान के ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के होते हैं और पूरे विश्व में स्वर्ण मंदिर के अद्भुत चर्चे हैं।

स्वर्ण मंदिर का इतिहास ।। History of golden temple

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अमृतसर के स्वर्ण मंदिर का दूसरा नाम “हरमंदिर साहिब” भी है और यह पंजाब के अमृतसर में अमृतसर रावी (ravi river) और व्यास रावी (beas river) के किनारे बसा हुआ है। स्वर्ण मंदिर का इतिहास करीब 445 साल पुराना है। साल 1577 में सिख के चौथे गुरु “गुरू रामदास” जी ने अमृतसर में स्वर्ण मंदिर की स्थापना अपने हाथों से की थी। इसकी नींव करीब 500 बीघा जमीन पर उन्होंने रखी थी। इसके बाद सिख के पांचवें गुरु “गुरू अर्जन देव” जी ने साल 1581 में स्वर्ण मंदिर का निर्माण शुरू करवाया।

आज जो हमें सरोवर स्वर्ण मंदिर के चारों और दिखता है निर्माण के वक्त इस सरोवर को सूखा दिया गया था। वह ऐसा इसलिए की निर्माण में किसी भी प्रकार की कोई बाधा ना आए।

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कुल 8 सालों की मेहनत के बाद स्वर्ण मंदिर का पहला संस्करण खत्म हुआ। साल 1604 में यह मंदिर पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया। शुरुआत में इस मंदिर को “हरमंदिर साहिब” के नाम पर रखा गया। वक्त के साथ आज इसे लोग “स्वर्ण मंदिर” के नाम से जानते हैं। जब यह मंदिर पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया था और लोगों की आस्था का केंद्र बन गया था।

इसके बाद कई सारे मुगलों की निगाहें इस पर केंद्रित हुई। उसके बाद लगातार इस मंदिर पर हमले किए गए। हमले की वजह से यह कई जगहों से क्षतिग्रस्त हो गया था। 17वीं शताब्दी के महाराज “सरदार जस्सा सिंह अहलुवालिया” के नेतृत्व में इसे दोबारा से बनवाया गया जहां-जहां से मार्बल से बनी दीवारे टूट चुकी थी वहां पर सोने के परतो की नक्काशी की गई। कुल 750 किलो शुद्ध सोने का इस्तेमाल हुआ सिर्फ गुरुद्वारे के ऊपरी फ़्लोर को ठीक करवाने में तब से लोग इसे “स्वर्ण मंदिर” के नाम से भी पुकारने लगे। जिसे देखने पर आज भी यह अद्भुत नजर आता है।

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गुरुद्वारा में हर रोज होते हैं लंगर ।।

प्रतिदिन करीब 40 हजार लोगों का पेट “स्वर्ण मंदिर” में होने वाले लंगर से भरता है वह भी निशुल्क यह जानकर जरूर आपको हैरानी हुई होगी। सच तो यह है स्वर्ण मंदिर में होने वाले लंगर में कोई भी खा सकता है चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या मजहब का हो। शनिवार और रविवार को यह आंकड़ा बढ़ जाता है। यहां आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या अत्यधिक हो जाती है जिस वजह से तकरीबन 4 लाख लोगों का खाना “स्वर्ण मंदिर” के लंगर में बनता है।

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लोगों की बढ़ती जनसंख्या के कारण स्वर्ण मंदिर के लंगर में रोटी बनाने वाली मशीन को स्थापित किया गया है। इस मशीन से एक बार में करीब 25 हजार रोटी बनकर तैयार हो जाती है।

अमृतसर के स्वर्ण मंदिर का ऐतिहासिक इतिहास | Historical History of Golden Temple of Amritsar in Hindi

अगर आप स्वर्ण मंदिर को पहली बार देखने जा रहे हैं तो कुछ बातों का ख्याल आप जरूर रखें जैसे ही आप स्वर्ण मंदिर के परिसर में दाखिल होंगे उससे पहले आपको अपने सिर किसी कपड़े से ढक लेना है। उदाहरण के तौर पर “रुमाल” से और अपने जूते परिसर के बाहर ही उतार दे।

कौन सा समय आपके लिए अच्छा है स्वर्ण मंदिर जाने का ।।

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स्वर्ण मंदिर जाने का प्लान गर्मियों की छुट्टी में तो बिल्कुल भी ना बनाएं क्योंकि अमृतसर का तापमान सभी राज्य के मुकाबले अत्यधिक होता है अगर आप जाने की सोच रहे हैं तो आप अक्टूबर से फरवरी के बीच यहां जा सकते हैं। स्वर्ण मंदिर और उसके आसपास के जगहों को अच्छे से घूमने के लिए कम से कम 2 से 3 दिन का प्लान आप जरूर बनाएं। स्वर्ण मंदिर के अलावा उससे कुछ ही दूरी पर घूमने के काफी अच्छे-अच्छे स्थान है

जैसे :- वाघा बॉर्डर, माता देवी लाल मंदिर, अकाल तख्त, दुर्घियाना मंदिर (लक्ष्मीनारायण मंदिर), जलियांवाला बाग यह सभी स्थल काफी अच्छे हैं और हिंदुस्तान के इतिहास से जुड़े हुए है।

स्वर्ण मंदिर गुरुद्वारे में ठहरने की है पूरी व्यवस्था ।।

अगर आप अकेले या अपने फैमिली के साथ स्वर्ण मंदिर आने का प्लान कर रहे हैं तो बिल्कुल निश्चिंत होकर कर सकते हैं क्योंकि स्वर्ण मंदिर गुरुद्वारे में एक सराय है जहां लोगों के ठहरने की व्यवस्था की गई है। इस सराय को सन 1784 में बनाया गया था जहां कुल 18 बड़े हॉल हैं वही कमरे की बात करें तो उसकी संख्या 228 हैं और हर कमरे में ठहरने वाले लोगों के लिए तकिये और चादर रखे रहते हैं। आप स्वर्ण मंदिर गुरुद्वारे में कुल 3 दिनों तक रुक सकते है। 24 घंटे ठहरने का किराया महज 500 रुपए है।

स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करने के नियम जिसे हर इंसान को मानना चाहिए ।।

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1. स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करने से पहले सिर पर रुमाल बांध ले सिर ढकना सबके लिए आवश्यक है। आप पुरुषों हो, बच्चे हो या महिला सबके लिए नियम समान है अगर आपके पास रुमाल नहीं है तो स्वर्ण मंदिर के परिसर में आपको सिर ढकने के लिए कपड़ा उपलब्ध करा दिया जाएगा।

2. स्वर्ण मंदिर के परिसर में धूम्रपान करना या उसे ले जाना दोनों निषेध है।

3. स्वर्ण मंदिर में आने से पहले आप यह पुष्टि कर ले आपने जो कपड़ा पहना है वह कट स्टाइलिश ड्रेस तो नहीं है क्योंकि मंदिर परिसर में पूरे ढके कपड़ा पहनना ही अनिवार्य है।

4. अगर आप अपने साथ कैमरा ले जा रहे हैं तो इस बात का ध्यान आप बिल्कुल रखें मंदिर के बाहर तक ही कैमरे की वीडियो रिकॉर्डिंग करें मंदिर परिसर में घुसते ही इसे बंद कर ले क्योंकि स्वर्ण मंदिर के अंदर वीडियो रिकॉर्डिंग करना बिल्कुल निषेध है।

स्वर्ण मंदिर के खुलने का समय ।।

वैसे तो यह लोगों की सेवा के लिए 24 घंटे खुला रहता है अगर आप पूजा के उद्देश्य से स्वर्ण मंदिर आते हैं तो यह सुबह 2:00 से 3:00 बजे के बीच खुल जाता है और रात्रि 10:00 बजे खुला रहता है। पूजा करने के लिए आपको सबसे सुबह आना होगा क्योंकि दिन के वक्त स्वर्ण मंदिर में इतना ज्यादा भीड़ हो जाता है कि आपको घंटो लाइन में लगना पड़ सकता है।

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