चंद्रमा पर भारत का चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) को लगभग 10 दिन हो गए हैं। इन 10 दिनों में विक्रम लैंडर (vikram lander) और प्रज्ञान रोवर (pragyan rover) ने बहुत सारी ऐसी जानकारी इकट्ठे करके ISRO को भेजा है जिसे जानकर ISRO के साथ-साथ नासा और दुनिया भर के अंतरिक्ष वैज्ञानिक आश्चर्य में पड़ गया है।
चंद्रमा पर मिले हैं ऑक्सीजन के साक्ष्य ?
23 अगस्त को भारत का चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) अंतरिक्ष यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर धीरे से उतरा (Soft Landing)। ये बहुत बड़ी बात थी क्योंकि इससे पहले किसी भी देश ने ऐसा नहीं किया था. अंतरिक्ष यान में प्रज्ञान नाम का एक विशेष प्रकार का रोबोट रोवर भेजा गया है, जो अब चंद्रमा की सतह पर नई-नई चीजों की खोज कर रहा है। आज चंद्रमा पर प्रज्ञान रोवर (pragyan rover) का दसवां दिन होगा।
जब तक यह वहां है, हर पल ISRO को इसने बहुत सी महत्वपूर्ण जानकारियां खोज कर दी है। प्रज्ञान रोवर (pragyan rover) को चंद्रमा पर ऑक्सीजन और सल्फर जैसी चीजें मिलीं। ऑक्सीजन वास्तव में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जीवित चीजों को जीवित रहने में मदद करती है। प्रज्ञान रोवर (pragyan rover) ने यह भी जांचा कि चंद्रमा की सतह कितनी गर्म है। दुनिया भर के लोग यह देखने के लिए वास्तव में उत्साहित हैं कि रोबोट चंद्रमा की सतह पर और क्या खोजता है।
APXS उपकरण ने चांद पर सल्फर कैसे ढूंढ निकाला?
चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के रोवर प्रज्ञान को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सल्फर मिला है। इसका पता APXS नामक एक विशेष उपकरण द्वारा लगाया गया। इस उपकरण ने न केवल एल्यूमीनियम और लोहे जैसे सामान्य तत्व की खोज की हैं, बल्कि सल्फर जैसे दिलचस्प तत्व को भी ढूंढ निकाला हैं।
यह खोज हमें चंद्रमा की संरचना और उसके निर्माण के बारे में और अधिक जानने में मदद कर सकती है। यह हमें यह भी दिखा सकता है कि चंद्रमा पर पानी है या नहीं, यह जानकारी भविष्य में काफी ज्यादा महत्वपूर्ण हो सकता है। सल्फर का उपयोग अंतरिक्ष यान के लिए ईंधन बनाने में भी किया जा सकता है।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि सल्फर कहां से आया। वे जानना चाहते हैं कि क्या यह हमेशा से यहां था या यह किसी ज्वालामुखी या उल्कापिंड के माध्यम से यहां आया है। रोवर पर लगे सेंसर वाले उपकरण, जिसे एलआईबीएस LIBS कहा जाता है, उसने ही सबसे पहले सल्फर होने की पुष्टि की इसके बाद चंद्रमा की सतह पर एल्यूमीनियम, कैल्शियम, लोहा, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैंगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन जैसे अन्य तत्व कॉफी ढूंढ निकालना।
ISRO को मिला चंद्रमा पर ऑक्सीजन के साक्ष्य || ISRO Found Oxygen On the Moon ?
चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी !
अब तक चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर ऑक्सीजन को ढूंढ निकाला है अब बस उन्हें हाइड्रोजन की खोज करनी हैं, जो की महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर हमें चंद्रमा पर ऑक्सीजन और हाइड्रोजन दोनों मिलते हैं, तो इसका मतलब यह है कि हम ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के मिश्रण से चंद्रमा पर पानी बना सकते है।
क्या 14 दिन में ही खत्म हो जाएगा चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) !
एम. श्रीकांत अंतरिक्ष वैज्ञानिक जोकि चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) मिशन का हिस्सा है. वे बताते हैं कि जो मशीनें उन्होंने चंद्रमा पर भेजी है, जैसे कि लैंडर और रोवर, वे सूर्य के सौर ऊर्जा पर काम करने के उपयोग से बनाई है चंद्रमा पर अगर अंधेरा हो जाता है तो 14 दिनों के अंधेरे के बाद सूरज निकलने पर फिर से यह काम करना शुरू कर देगी।
अभी चांद पर लैंडर और रोवर काम कर रहे हैं, लेकिन लेकिन कुछ दिनों के बाद सूरज डूबने पर ये काम करना बंद कर देंगे। श्रीकांत का मानना है कि जब सूरज वापस आएगा तो मशीनें फिर से काम करना शुरू कर देंगी इसके बाद वे अधिक जानकारी एकत्र कर भारत को भेज सकेंगी।
अगर किसी कारणवश वे दोबारा काम शुरू न करें पाय, फिर भी यह मिशन सफल होगा. मशीनों को काम करने के लिए सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है क्योंकि उनमें सौर पैनल होते हैं जो सूर्य से ऊर्जा एकत्र करते हैं। जब सूरज ढल जाता है तो चंद्रमा पर बहुत ठंड हो जाती है और मशीनें इतने ठंडे तापमान में काम नहीं कर सकतीं। इसलिए, अंधेरे के 14 दिनों के दौरान, मशीनें निष्क्रिय रहेंगी।
ISRO को मिला चंद्रमा पर ऑक्सीजन के साक्ष्य || ISRO Found Oxygen On the Moon ?
क्यों चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) की पर दुनिया की नजर ?
अंतरिक्ष वैज्ञानिक वेंकटेश्वरन ने बताया कि चंद्रयान-1 (Chandrayaan-1), चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) और एक अमेरिकी ऑर्बिटर पहले ही 100 किलोमीटर की दूरी से चंद्रमा पर खनिजों का अध्ययन करने के लिए विशेष उपकरणों का उपयोग कर चुके हैं।
मगर यह अध्ययन 100 किलोमीटर की दूरी से किया गया था हालाँकि, निश्चित होने के लिए, हमें चंद्रमा पर उतरने और उसकी सतह से डेटा एकत्र करने की आवश्यकता है। यदि डेटा हमारे द्वारा दूर से एकत्र किए गए डेटा से मेल खाता है, तो हम अपने निष्कर्षों पर अधिक आश्वस्त हो सकते हैं।
चांद का तापमान कैसा है?
चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) मिशन चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतर चुका और वह चंद्रमा की सतह पर अपना कार्य शुरू कर चुका है और इसका एक महत्वपूर्ण लक्ष्य यह मापना है कि दक्षिणी ध्रुव की सतह कितना गर्म या ठंडा है। चंद्रचंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) ने चंद्रमा की सतह पर प्रज्ञान रोवर को इसी कार्य के लिए चंद्रमा की सतह पर भेजा चंद्रमा की सतह पर तापमान बहुत गर्म है, जैसे कि वास्तव में गर्म रेगिस्तान में होता है।
लेकिन जब रोवर ने सतह से थोड़ा नीचे खोदा, तो पाया कि यह वास्तव में अंदर से बहुत ज्यादा ठंडा था, जैसे कि वास्तव में ठंडे फ्रीजर में होता है। सतह से नीचे कुछ सेंटीमीटर के अंतराल में तापमान में अंतर बहुत बड़ा पाया गया, जैसे बहुत गर्म जगह और बहुत ठंडी जगह में रहने के बीच का अंतर।
यह जानकारी ISRO के वैज्ञानिकों के लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण थी। अब आगे की जानकारी जैसे-जैसे ISRO को (vikram lander) और प्रज्ञान रोवर (pragyan rover) भेजता रहेगा वैसे-वैसे आपको इसकी जानकारी हमारे इस पेज पर आपको मिलती रहेगी।
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