क्या है रामसेतु पुल का रहस्य ?? जिसे देख अमेरिकी वैज्ञानिक भी हुए हैरान | Ram Setu Bridge History in Hindi

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हेलो दोस्तों आज मैं आपको बताऊंगा क्या है रामसेतु पुल का रहस्य ?? जिसे देख अमेरिकी वैज्ञानिक भी हुए हैरान | Ram Setu Bridge History in Hindi, दरअसल जैसे-जैसे युग बीत रहा है लोगों के बीच हमेशा रामसेतु पुल को लेकर बड़ी विडंबना रहती है कि यह किसने बनाया ?? क्या यह मानव निर्मित है या इससे किसी व्यक्ति इंसान या भगवान ने बनाया। आज मैं आपको इसके पीछे की सारी सच्चाई और वैज्ञानिकों द्वारा इसके क्या राय है उसके बारे में बताऊंगा।

हिंदू धर्म एक ऐसा धर्म है जिसे पूरी दुनिया में सबसे प्राचीन धर्म का दर्जा दिया गया है। आज भी अमेरिकी वैज्ञानिक हिंदू धर्म के ग्रंथों पर शोध कर रहे हैं। साल 1917 दिसंबर में अमेरिकी टीवी शो “एनशिएंट लैंड ब्रिज” ने अपने साइंस चैनल पर भगवान श्री राम द्वारा बनाई गई। रामसेतु पुल का सच सबके सामने रखा सभी वैज्ञानिकों ने रिसर्च करने के बाद अपना निष्कर्ष लोगों के बीच रखते हुए कहा की भारत और श्रीलंका के बीच बना 50 किलोमीटर लंबा रास्ता बड़े-बड़े पत्थरों और चट्टानों से बनाया गया है।

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वैज्ञानिकों ने रामसेतु पुल में मौजूद चट्टानों और बालू के कुछ अवशेष पर भी शोध किए जिससे यह पूर्ण रूप से प्रमाण होता है कि यह पुल भगवान श्रीराम ने अपनी वानर सेना के साथ मिलकर बनाए थे। रामसेतु पुल जिस चट्टान पर टिकी हुई है वह करीब 7000 साल पुराना है वही बालू की बात करें तो वह करीब 4000 साल पुराना है। चट्टानों और बालू की उम्र के बीच की यह विसंगति देख नासा के वैज्ञानिकों को भी यह मानने पर नतमस्तक होना पड़ा कि यह पुल भगवान श्रीराम द्वारा बनाया गया एक अनोखा और अद्भुत पुल है।

साल 1993 में पूरे विश्व में मानो एक भूचाल सा आ गया हो जब अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (नासा) ने सेटेलाइट की मदद से रामसेतु पुल का चित्र लिया और जब दुनिया भर में इसे जारी किया गया तब पूरे विश्व के वैज्ञानिक ने भी माना कि यह पुल किसी मानव द्वारा बनाया गया मानव निर्मित पुल है।

रामसेतु पुल कहां स्थित है ??

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यह हिंदुस्तान के दक्षिण में रामेश्वरम (धनुषकोटि) तथा श्रीलंका के पूर्वोत्तर में मन्नार द्वीप के बीच समुद्र में बनी 48 किलोमीटर लंबी पुल है। वर्तमान में इस पुल को देखना लगभग असंभव है। यह समुंद्र के काफी अंदर चला गया है और यह पुल बीच से कई जगहों से टूटा हुआ है मगर आज भी आप रामसेतु पुल के साक्ष्य सेटेलाइट की मदद से देख सकते हैं।

रामसेतु पुल को आखिर क्यों बनाया गया ??

महर्षि वाल्मिकी जी द्वारा रचित “वाल्मिकी रामायण” में यह स्पष्ट रूप से हमें पता चलता है कि जब रावण द्वारा माता सीता जी को अगवा कर लिया गया था। तब प्रभु श्री राम जी वानरों की सेना लेकर उनकी खोजबीन में लग गए। महाबली हनुमान जी द्वारा जब यह स्पष्ट कर दिया गया कि सीता माता लंका में है। तब प्रभु श्री राम जी अपने वानरों की सेना लेकर तुरंत रामेश्वरम पहुंच गए। उनसे कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर लंका द्वीप था मगर जाने का कोई मार्ग नहीं था। चारो और समुद्र की बस ऊंचे लहरें थी।

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प्रभु श्री राम जी ने समुद्र देवता की आराधना की और अपने हाथों से रामेश्वरम में “ज्योतिर्लिंग” की स्थापना की।

समुद्र देवता की ओर से किसी भी प्रकार की कोई मदद न मिलने पर प्रभु श्री राम जी क्रोधित हो गए और अपने धनुष निकाल लिए यह देख समुद्र देवता तुरंत ही प्रकट हुए और उन्हें लंका तक जाने का मार्ग बताने लगे। दरअसल विश्वकर्मा जी के पुत्र नल और नील के पास वरदान था कि वह कोई भी वस्तु समुंद्र में अगर फेंकते हैं तो वह वस्तु समुंद्र में डूबेगा नहीं।

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हनुमान जी ने नल और नील की मदद से पत्थरों पर श्री राम जी का नाम लिखकर समुद्र में फेंकने लगे महज 5 से 6 दिनों के भीतर 48 किलोमीटर लंबा समुद्र पर एक सेतु का निर्माण हो गया। जिसका नाम प्रभु श्री राम जी ने “नील पुल” रखा था क्योंकि इस पुल का निर्माण नल और नील के ही हाथों हुआ था।

क्यों प्रभु श्री राम जी ने रामसेतु पुल को अपने हाथों से तोड़ दिया ??

जब प्रभु श्री राम जी रावण का वध कर सीता माता, लक्ष्मण जी और अपने सारे वानरों की सेना के साथ वापस अयोध्या के लिए लौट रहे थे। तब विभीषण के कहने पर श्री राम जी ने अपने धनुष के एक ही सिरे से पूरे सेतु को ध्वस्त कर दिया और उसे समुद्र की गहराइयों में डूबा दिया।

15 वी शताब्दी के दौरान फिर से निकल आया था रामसेतु पुल।

समुंद्र में जलस्तर कम होने की वजह से 15 वी शताब्दी के दौरान लोगों के बीच रामसेतु पुल का अस्तित्व सामने आया क्योंकि इससे पहले लोगों के बीच सिर्फ रामसेतु पुल होने की एक कल्पना थी मगर 15 वी शताब्दी में जब यह समुद्र के बाहर निकला तब सारे लोग या देख कर चौक गए। बाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायण इस पुल के होने की पुष्टि पहले ही कर चुका था।

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जब रामसेतु पुल अस्तित्व में आया तब लोग धनुषकोटि से श्रीलंका के उत्तर पश्चिम में पम्बन तक की यात्रा पैदल रामसेतु पुल से करते थे मगर फिर समय के साथ रामसेतु पुल फिर से एक बार समंदर के अंदर चला गया अभी भी रामसेतु पुल समुद्र की गहराइयों में समाया हुआ है।

नासा के वैज्ञानिकों की क्या राय है रामसेतु पुल के बारे में ??

नासा और दुनिया के सारे वैज्ञानिकों का एक ही मत है कि यह किसी सुपर मानव द्वारा बनाया गया मानव निर्मित पुल है। साउथ अफ्रीका के चर्चित जियोलॉजिस्ट Dr Alan Lester ने अपने एक इंटरव्यू में भगवान श्री राम द्वारा बनाए गए रामसेतु पुल को अपने अध्ययन से सिद्ध और इसका प्रमाण लोगों के बीच लाया था। वाल्मीकि जी द्वारा रचित (वाल्मीक रामायण-6/22/76) में और तुलसीदास द्वारा रचित “रामचरितमानस” में सब जगह रामसेतु पुल होने की मौजूदगी वैज्ञानिकों को मिली है।

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हिंदुस्तान में कुछ ऐसे भी नेता है जो रामसेतु पुल को तोड़ने के लिए भारत सरकार पर दबाव बना रहे थे। “सेतुसमुद्रम परियोजना” के तहत जब इस सेतु को तोड़ने का निर्णय किया गया। तब हिन्दुओं में इसे लेकर इतना रोष उत्पन्न हुआ की भारत सरकार को अपना “सेतुसमुद्रम परियोजना” वापस लेना पड़ा।

हिंदुस्तान में मौजूद ना जाने कितने प्राचीन वस्तुएं हैं और वह कितनी पुरानी है। इसका अनुमान आप रामसेतु पुल को देखकर लगा सकते हैं। भगवान श्रीराम द्वारा निर्मित यह हजारों साल पुराना पुल इसका साक्ष्य है।

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