Chandrayaan 3 की सफलता की कहानी बताते हुए हमें बहुत ही खुशी हो रही है आखिरकार ISRO ने 23 अगस्त की शाम 6:04 मिनट पर इतिहास रच कर इतिहास के पन्नों में अपना नाम और देश का नाम अंकित कर ही लिया है। यह ISRO के साथ-साथ पूरे भारत के लिए एक गर्व का लम्हा है जैसे ही विक्रम लैंडर (Vikram Lander) चंद्रमा की धरती पर अपने पैर रखता है उसके तुरंत बाद वह ISRO को 4 महत्वपूर्ण चंद्रमा की तस्वीरें भेजता है। यह तस्वीरें ISRO के ट्विटर हैंडल से लोगों के साथ साझा करते हुए ISRO के चीफ ने कहा कि आखिरकार लोगों की कामना और लोगों का प्यार हमें हमारे मिशन में कामयाब कर दिया।
ISRO की मेहनत : धरती से चांद तक का सफर और इसकी कहां से हुई शुरुआत
चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) को 14 जुलाई की दोपहर 2:35 बजे श्रीहरिकोटा आंध्र प्रदेश के तट से LVM3-M4 रॉकेट के माध्यम से इसे लांच किया गया था। LVM3-M4 रॉकेट जो कि काफी ज्यादा शक्तिशाली और वज़नदार स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष में ले जाने की क्षमता रखता है।
साल 2003 को 56वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर श्री आदरणीय तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पूरे भारतवर्ष को संबोधन करते हुए यह कहा था कि भारत 2008 तक चंद्रमा तक अपनी छाप छोड़ देगा। इसके बाद ISRO ने साल 2008 में चंद्रयान 1 (Chandrayaan 1) मिशन लॉन्च किया यह भारतवर्ष का पहला चंद्रमा की ओर जाने का मिशन था इसके साथ ही साथ डीप स्पेस मैं यह भारत का प्रथम मिशन था।
ISRO ने पिछले मिशन चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) से ली सबक
उन्होंने अपने पिछले मिशन, चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) जिसे 22 जुलाई 2019 को चंद्रमा की और भेजा गया था मगर किसी कारणवश यह मिशन असफल हो गया लेकिन इस मिशन से ISRO के वैज्ञानिकों ने बहुत कुछ सीखा, वैसे तो चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) काफी हद तक एक सफलतापूर्वक मिशन रहा।
चंद्रयान 3 के सफलता की कहानी || Success Story Of Chandrayaan 3 in Hindi
आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) के लिए चंद्रमा के साउथ पोल पर जो निर्धारित सतह उतरने के लिए ISRO के वैज्ञानिकों ने निर्धारित किया है। वह सतह चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) ने ही खोज कर ISRO के वैज्ञानिकों को भेजा है। लेकिन चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाया।
जिसके वजह से या मिशन पूरी तरह से सफलतापूर्वक की श्रेणी में नहीं आता। चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) मिशन योजना के अनुसार नहीं चला लेकिन इस मिशन से ISRO ने काफी ज्यादा सबक लिया और उन्होंने अपनी गलतियों से सीखा और चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) के लिए सुधार किया।
चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) को ऐसा डिजाइन किया गया था कि वह कम गलतियाँ करें और चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3)) को चंद्रमा पर भेजने से पहले ISRO ने चंद्रयान-3 का कई बार परीक्षण किया। और आखिरकार यह काम कर गया।
चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) के मुकाबले चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) में क्या-क्या बदलाव किए गए हैं
चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) और चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) वो मिशन हैं जो भारत ने चंद्रमा की सतह पर उतरने और खोज करने के लिए भेजे थे. उन दोनों के पास एक अंतरिक्ष यान था जिसमें ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर था। चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) के लैंडर और रोवर चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) से भारी हैं।
चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) को 7 साल तक चलना था, लेकिन चंद्रयान 3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल केवल 3 से 6 महीने तक ही काम करेगा। चंद्रयान-2 की तुलना में चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) चंद्रमा पर तेजी से पहुंचा। वहां पहुंचने में लगभग 40 दिन लगे। लैंडर और रोवर के नाम वही रहे, लेकिन लोगों को लगा कि उनमें बदलाव हो सकता है।
लैंडर को पहले की तरह ‘विक्रम’ नाम दिया गया और रोवर को ‘प्रज्ञान’ रखा गया। चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) मिशन की लागत चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) मिशन के मुकाबले काफी कम कर दी गई जहां चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) मिशन लगभग 615 करोड़ रुपये के है वही चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) मिशन की लागत 978 करोड़ रुपये थे।
चंद्रयान-3 के सफलता की कहानी || Success Story Of Chandrayaan-3 in Hindi
चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन का लक्ष्य
चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन का मुख्य लक्ष्य चंद्रमा की सतह के बारे में अधिक जानना है। चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) ने अब तक काफी ज्यादा जानकारी भारत तक पहुंचा दी है जैसे कि भूकंप कैसे आता है? चंद्रमा का तापमान कितना है? कौन-कौन से खनिज सतह पर मौजूद है? विक्रम लैंडर (Vikram Lander) पर विभिन्न उपकरण लगाए है वे चंद्रमा के रसायन और खनिजों का भी अध्ययन करके ISRO को सारी जानकारियां भेजेंगे अब तक काफी ज्यादा रसायन के बारे में पता लगाकर प्रज्ञान रोवर ने इसरो को भेजा है
जैसे कि चंद्रमा की सतह पर सल्फर का होना हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की मौजूदगी यह सब पता लगाकर पल-पल प्रज्ञान रोवर ISRO को भेज रहा है।
चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) पर थी दुनिया की नजर
चंद्रमा पर उतरना एक बड़ा ही चुनौतीपूर्ण काम था, हाल ही में रशिया की स्पेस एजेंसी Roscosmos ने Luna 25 नामक मिशन लॉन्च किया था इसका मकसद भी चंद्रमा के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग करने का था मगर यह मिशन असफल हो गया और Luna 25 चंद्रमा की सतह से टकराकर विस्फोट हो गया।
लेकिन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) 23 अगस्त की शाम 6:04 मिनट सॉफ्ट-लैंडिंग करने में सफल रहा किसी भी तरह की कोई कठिनाई नहीं हुई आसानी से उतरने में कामयाब रहा। यह सफलतापूर्वक मिशन से भारत चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा देश और साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बन चुका है।
इससे पहले चंद्रमा पर अमेरिका रशिया और चीन का नाम था मगर इन तीनों देशों में से किसी ने भी साउथ पोल पर अब तक सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कि है इससे दुनिया को पता चला कि भारत अंतरिक्ष अन्वेषण में महत्वपूर्ण है।
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